Sunita gupta

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हिंदी दिवस प्रतियोगिता,आकषर्ण के दर्पण मे

हिंदी दिवस प्रतियोगिता
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आकर्षणों के दर्पण मे आकाश सी सीमाएं है,,
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आकर्षणों के दर्पण मे आकाश सी सीमाएं है,भटके है जो दर बदर
अरमानों मे उलझाएं हैं,
आकाश के आगोश मे आशाएं हैं,अभिलाषाएं हैं,चेतना बन अंतर्मुखी
असितत्त्व को जगाएं है।
आकर्षणों के ,,,,,,
इस नवयुग को आबाद कर ,यही सहज दर्शाए हैं,निर्मल मां की शक्ति मे,आयाम नए जगाएं हैं।
आकर्षणों के,,,,,,
आनंद दे आल्हाद दे यही आत्मबोध कहलाएं हैं । कुंडलिनी के जागरण से सच्चित्तानंद कहलाए हैं।
आकर्षणों के दर्पण मे ,आकाश सी सीमाएं है।
सुनीता गुप्ता कानपुर उत्तर प्रदेश

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10 Comments

आह्लाद होगा जी

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Gunjan Kamal

22-Sep-2022 02:44 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌

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Wahhh अद्भुत अद्भुत अद्भुत

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